नाउम्मीद न हो जाय बच्चा अचानक अकेला न हो जाय बच्चा किसी अनजानी राह न चला जाय बच्चा दोस्तों के रहम पर न रह जाय बच्चा दो गुलामों के बीच फँस न जाय बच्चा गुलामों को चाहिए कि वे एक दूसरे के सामने झुक जाएँ
हिंदी समय में मिथिलेश श्रीवास्तव की रचनाएँ